शनिवार, 8 सितंबर 2012

यह है हमारे सभ्य समाज की नंगी तस्वीर



हम खुद को आधुनिक दौर का मानते हैं। सभ्य समाज का पैरोकार भी समझते हैं। लेकिन हमारी करतूत कुछ ऐसी है कि शर्म शब्द को भी हम पर शर्म आ जाए। ऐसे समाज का नजारा सहरसा में शुक्रवार को देखने में आया। जिस नवजात को आज मां की गोद में होना चाहिए वह लावारिस की तरह जंगल में फेंका हुआ दिखा। सहरसा के जयप्रकाश उद्यान के समीप कार्टून में भरकर एक नवजात को फेंक दिया गया। फेंकने वाले क्रुर व्यक्ति ने यह भी नहीं देखा की जिस कार्टून में नवजात को रखा है उसमें स्पष्ट लिखा है हैंडल विथ केयर। नवजात को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। किसी ने उसे उठाने की जहमत भी नहीं की। हालांकि शुक्रवार को सवेरे कार्टून में पड़े नवजात की किलकारी भी लोगों ने सुनी। लेकिन नौ बजे तक उसकी आवाज बंद हो चुकी थी। किसी ने उसे गले लगाने की कोशिश भी नहीं की। यह है हमारे सभ्य समाज की नंगी तस्वीर। छाया : राजकिशोर, सहरसा ।

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